Last updated on September 20th, 2023 at 09:29 pm

Zero Ka Avishkar Kisne Kiya : शून्य के अविष्करण का श्रेय भारत को जाता है, और यह महत्वपूर्ण योगदान है गणित में। इसके बावजूद, भारत में इसे पहचान नहीं मिला विशेष कारण ब्रिटिश शासन का था। यह कहने के लिए दुख है कि कई और खोजें भी भारत में हुई, लेकिन उनका प्रमुख श्रेय नहीं मिला।
शून्य का योगदान मानव जीवन में विशेष महत्व है। आप इस लेख को अपने मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, या टैबलेट पर ऑनलाइन पढ़ रहे हैं, और यह सभी डिवाइस का काम बाइनरी कोड के साथ होता है, जिसमें 0 और 1 दो बाइनरी संकेत होते हैं। 0 का मान शून्य होता है, लेकिन 10 के आगे 0 जोड़ने पर यह 10 हो जाता है, और 10 के आगे शून्य जोड़ने पर यह 100 हो जाता है। इसका मतलब है कि जब हम किसी संख्या के साथ 0 जोड़ते हैं, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है।
Zero Ka Avishkar Kisne Kiya?
शून्य के अविष्कार का श्रेय भारतीय गणितज्ञ और Astrologer Aryabhatta को जाता है। प्रमुख रूप से, शून्य के आविष्कार का श्रेय प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त को जाता है, जिन्होंने 628 ईसवी में शून्य को सिद्धांतों के साथ प्रस्तुत किया था। ब्रह्मगुप्त, जो गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अंतर्गत आने वाले प्रसिद्ध शहर उज्जैन (मध्य प्रदेश) की अंतरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे, ने शून्य के महत्व को समझा और उसे विवाद बिना प्रस्तुत किया।
इससे पहले, आर्यभट्ट ने शून्य का उपयोग किया था, लेकिन वे सिद्धांत नहीं प्रस्तुत कर पाए थे, इसलिए उन्हें शून्य के मुख्य अविष्कारक के रूप में माना नहीं जाता।
गणितज्ञ | शून्य के अविष्कार किया | वर्ष |
---|---|---|
आर्यभट्ट | हां | – |
ब्रह्मगुप्त | हां | 628 CE |

Zero Ke Avishkarak Kaun Hai
क्या आप जानते हो Zero Ka Avishkar Kisne Kiya? पहले, भारत के महान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने शून्य, यानी ‘zero’ का प्रयोग किया था। इसलिए कई लोग आर्यभट्ट को भी शून्य का अविष्कारक मानते हैं, हालांकि उनके पास इसके सबूत नहीं थे, इसलिए उन्हें शून्य के मुख्य अविष्कारक के रूप में स्वीकृति नहीं मिलती है।
कुछ लोग यह मानते हैं कि शून्य का आविष्कार भारत के महान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट द्वारा नहीं किया गया था। यह सच है कि आर्यभट्ट पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सुनने की अवधारणा दी थी, लेकिन उनके आविष्कार को लेकर मतभेद हैं। आर्यभट्ट का मानना था कि एक ऐसी संख्या होनी चाहिए जो 10 संख्याओं के प्रतीक के रूप में प्रतिनिधित्व कर सके और एक संख्या के रूप में शून्य, जिसका कोई मान नहीं हो, उसका प्रतीक हो।
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Zero Ka Upyog Kahan Kiya Jata Hai?
जीरो, जिसे शून्य भी कहते हैं, गणित और भाषा की दुनिया में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंक है। यह अंक हमारे लिए एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय संख्या होता है, जिसके बिना हम किसी भी तरह की बाइनरी या डिजिटल संख्या को समझ नहीं सकते। जीरो की शक्ति इतनी अद्वितीय है कि यह एक लखपति को करोड़पति बना सकता है। यदि हम किसी संख्या के आगे 1,000,000 जीरो जोड़ देते हैं, तो वह सीधे एक करोड़ हो जाती है। इसलिए, जीरो का उपयोग हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह गणित के साथ-साथ कंप्यूटर विज्ञान में भी महत्वपूर्ण है।
Kya Zero Ek Sam Sankhya Hai
हाँ, जीरो एक सम संख्या होती है। जब हम सम संख्याओं के क्रम को देखते हैं, तो हम उन्हें 0, 2, 4, 6, 8, 10 आदि के साथ जोड़ते हैं। इसी तरह, जीरो भी एक सम संख्या होती है, जो इस संख्या क्रम में पायी जाती है। विपरीत रूप से, विषम संख्याएं 1, 3, 5, 7, 9, 11 आदि के साथ बढ़ती जाती हैं।
निष्कर्ष
इस लेख में हम जीरो के आविष्कार के बारे में चर्चा करेंगे, जिसने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। यह लेख उन अहम जानकारियों को बताता है जो जीरो के आविष्कार से जुड़ी हैं। इसके अलावा, कुछ लोग “सुनने का आविष्कार किसने किया था” जैसे प्रश्नों को भी अन्वेषित करते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको शून्य से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल और सुविधाजनक तरीके से समझाता है। अगर आपके पास इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न है, तो कृपया हमें टिप्पणी के माध्यम से बताएं। यदि आपको यह लेख पसंद आया हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें। धन्यवाद।